Publication: Amar Ujala

पहाड़ों के बीच रंगारंग कालिंजर महोत्सव आज से

Published Date: 19-Feb-2020

कालिंजर। ऐतिहासिक और पर्यटक यह स्थली बृहस्पतिवार से पांच दिन तक लगातार गुलजार रहेगी। एक ही परिसर में सरकारी योजनाओं के नजारे और रंगारंग कार्यक्रमों का लुत्फ मिलेगा। सीमावर्ती मध्य प्रदेश सहित बड़ी संख्या में लोग शरीक होंगे। कई वर्षों के बाद कालिंजर महोत्सव का आगाज होगा। यह 24 फरवरी तक चलेगा।

कालिंजर स्थित ऐतिहासिक दुर्ग के पास स्थित पहाड़ों से घिरे प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर मैदान में कालिंजर महोत्सव की जबरदस्त तैयारियां की गई है। इलाका पंडालों से पट गया है। कालिंजर फोर्ट विकास समिति अध्यक्ष/डीएम हीरालाल की पहल पर आयोजित हो रहे महोत्सव में पांच दिनों रोजाना सुबह 10 से शाम 5 बजे तक आयोजन होंगे।
इनमें धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक संदेश देने वाले कार्यक्रम शामिल है। सौ से ज्यादा स्टाल लगाए गए हैं। विभिन्न विभाग अपनी योजनाओं का यहां प्रदर्शन करेंगे। मेले का भी नजारा रहेगा। स्थानीय के अलावा बाहरी दुकानें भी सजेगी। विदेशी सैलानियों के आने के भी आसार हैं।
महोत्सव की संयोजक एसडीएम वंदिता श्रीवास्तव हैं। महोत्सव के लिए भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया गया है। चार थानाध्यक्ष, 20 सब इंस्पेक्टर, 60 कांस्टेबिल, 15 हेड कांस्टेबल, 25 महिला कांस्टेबल और 5 ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात रहेंगे। बांदा रोड, सतना रोड, पन्ना रोड, किला रोड आदि पर बैरियर लगाए गए हैं। पूर्व संध्या पर डीएम हीरा लाल ने यहां आकर तैयारियों का जायजा लिया।
कालिंजर महोत्सव में आज
शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक : शिव स्तुति, दिवारी नृत्य (रमेश पाल), महाशिव प्रस्तुति (श्रयंशी कानुपर), आल्हा गायन रमेश।
कालिंजर विकास समिति सदस्य अतुल सुल्लेरे ने कहा कि विश्व पर्यटन मानचित्र पर कालिंजर दुर्ग को लाने के लिए यह अच्छी कवायद है। पर्यटक यहां के पुरातात्विक महत्ता और चंदेलकालीन वास्तुकला समझ सकेंगे।
सीमावर्ती मध्य प्रदेश के पन्ना निवासी महेश प्रसाद मिश्रा, का कहना है कि कालिंजर महोत्सव से क्षेत्रीय लोगों में उत्साह है। देश-प्रदेश के नामी गिरामी कलाकारों की प्रस्तुतियां देखने को मिलेंगी। कालिंजर के विकास में यह कदम साबित होगा।
कालिंजर के वरिष्ठ नागरिक शंकर प्रताप मिश्रा की राय में कालिंजर महोत्सव से यहां की ख्याति और बढे़गी। महोत्सव हर वर्ष होना चाहिए। स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा।
1000 वर्ष पूर्व चंदेल काल से कालिंजर महोत्सव की परंपरा शुरू हुई थी। तब यह कार्तिक पूर्णिमा में होता था। बाद में आयोजन बंद हो गया। यह कार्तिक पूर्णिमा में ही होता तो बेहतर रहता। महोत्सव कालिंजर पर्यटन विकास को गति मिलेगी।

Colorful Kalinjar Festival among the mountains from today

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